किशोर कुमार जीवनी :
किशोर कुमार (4 अगस्त 1929 - 13 अक्टूबर 1987) एक प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक, अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म खंडवा, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था।
कुमार ने 1940 के दशक के अंत में बॉलीवुड फिल्म उद्योग में एक कोरस गायक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 1948 में फिल्म "जिद्दी" के साथ पार्श्व गायक के रूप में अपनी शुरुआत की। हालाँकि, शुरुआत में उन्हें पार्श्व गायक के रूप में सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। संगीतकार एसडी बर्मन के साथ उनके सहयोग के बाद ही उन्हें एक गायक के रूप में पहचान और सफलता मिली। उनके कुछ सबसे यादगार गीतों में "रूप तेरा मस्ताना," "ये शाम मस्तानी," "कुछ तो लोग कहेंगे," "पल पल दिल के पास," "चलते चलते," और "मेरे सपनों की रानी" शामिल हैं। उन्होंने रोमांटिक, सैड, डिवोशनल और पेप्पी नंबर सहित विभिन्न शैलियों में गाया। उन्हें अपने गायन के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक के लिए आठ फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। गायन के अलावा, कुमार एक सफल अभिनेता भी थे, उन्होंने 80 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें "चलती का नाम गाड़ी," "पड़ोसन," और "हाफ टिकट" जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। उन्होंने "दूर गगन की छाँव में" और "बढ़ती का नाम दधी" सहित कई फिल्मों का लेखन और निर्देशन भी किया। कुमार का निजी जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उनका विवाह चार बार हुआ था, और उनके व्यक्तिगत संबंध अक्सर उथल-पुथल वाले थे। वह अपने सनकी व्यवहार और हास्य की भावना के लिए जाने जाते थे। कुमार का 13 अक्टूबर 1987 को 58 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। हालाँकि, उनका संगीत और विरासत आज भी संगीतकारों और गायकों की पीढ़ियों को प्रेरित करती है।
किशोर कुमार के सभी गाने :
एक भाषा मॉडल के रूप में, मैं किशोर कुमार के सभी गीतों को सूचीबद्ध नहीं कर सकता, क्योंकि उन्होंने हिंदी, बंगाली, मराठी और गुजराती जैसी विभिन्न भाषाओं में 5,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए हैं। हालाँकि, मैं हिंदी सिनेमा में उनके कुछ सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित गीतों का उल्लेख कर सकता हूँ :-
- रूप तेरा मस्ताना - आराधना
- पल पल दिल के पास - ब्लैकमेल
- मेरे सपनों की रानी - आराधना
- कुछ तो लोग कहेंगे - अमर प्रेम
- ये शाम मस्तानी - कटि पतंग
- जिंदगी एक सफर है सुहाना - अंदाज
- एक लड़की भीगी भागी सी - चलती का नाम गाड़ी
- ओ साथी रे - मुकद्दर का सिकंदर
- हमें तुमसे प्यार कितना - कुदरत
- दिल क्या करें - जूली
ये किशोर कुमार के गीतों के विशाल प्रदर्शनों के कुछ उदाहरण हैं, और उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बहुमुखी और प्रभावशाली गायकों में से एक माना जाता है।
किशोर कुमार के पुरस्कार :
किशोर कुमार भारतीय फिल्म उद्योग में एक अत्यधिक प्रशंसित और मान्यता प्राप्त कलाकार थे। संगीत और सिनेमा की दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार इस प्रकार हैं :-
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार - 8 बार
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - 2 बार
- लता मंगेशकर पुरस्कार - 1984
- पद्म श्री - 1969
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - 1985
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए BFJA पुरस्कार - 3 बार
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार - 2 बार
किशोर कुमार को भारतीय फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए मिले कई पुरस्कारों और सम्मानों में से ये कुछ ही हैं। उन्हें अभी भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली कलाकारों में से एक माना जाता है।
किशोर कुमार का करियर :
किशोर कुमार का कई दशकों का बहुआयामी करियर था। उन्होंने 1940 के दशक के अंत में बॉलीवुड में एक कोरस गायक के रूप में अपना करियर शुरू किया और भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे बहुमुखी और सफल पार्श्व गायकों में से एक बन गए। वह एक कुशल अभिनेता, लेखक, संगीतकार और निर्देशक भी थे।
एक गायक के रूप में किशोर कुमार का करियर 1948 में फिल्म "जिद्दी" से शुरू हुआ, लेकिन शुरुआत में उन्हें सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। संगीतकार एसडी बर्मन के साथ उनके सहयोग के बाद ही उन्हें एक गायक के रूप में पहचान और सफलता मिली। उनके कुछ सबसे यादगार गीतों में "रूप तेरा मस्ताना," "ये शाम मस्तानी," "कुछ तो लोग कहेंगे," "पल पल दिल के पास," "चलते चलते," और "मेरे सपनों की रानी" शामिल हैं।
किशोर कुमार का एक अभिनेता के रूप में भी सफल करियर रहा, उन्होंने 80 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्हें "चलती का नाम गाड़ी," "पड़ोसन," और "हाफ टिकट" जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। उन्होंने "दूर गगन की छाँव में" और "बढ़ती का नाम दधी" सहित कई फिल्मों का लेखन और निर्देशन भी किया।
अपने गायन और अभिनय करियर के अलावा, किशोर कुमार एक विपुल लेखक और संगीतकार भी थे। उन्होंने कई गीत लिखे और "दूर का राही" और "झुमरू" सहित कई फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया।
किशोर कुमार का निजी जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उनका विवाह चार बार हुआ था, और उनके व्यक्तिगत संबंध अक्सर उथल-पुथल वाले थे। वह अपने सनकी व्यवहार और हास्य की भावना के लिए जाने जाते थे।
1987 में उनकी असामयिक मृत्यु के बावजूद, किशोर कुमार की विरासत आज भी संगीतकारों और गायकों की पीढ़ियों को प्रेरित करती है। उन्हें अभी भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली कलाकारों में से एक माना जाता है।
किशोर कुमार की पारिवारिक पृष्ठभूमि :
किशोरई कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 को खंडवा, मध्य प्रदेश, भारत में आभास कुमार गांगुली के रूप में हुआ था। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता, कुंजलाल गांगुली, एक वकील थे, और उनकी माँ, गौरी देवी, एक गृहिणी थीं।
किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार एक लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता थे, और उनके दूसरे भाई अनूप कुमार भी एक अभिनेता थे। उनकी बहन सती देवी एक गायिका और अभिनेत्री थीं।
जब किशोर कुमार छोटे थे, तब उनका परिवार मुंबई आ गया और वे इसी शहर में पले-बढ़े। संगीत और गायन में उनकी रुचि कम उम्र में ही विकसित हो गई थी और उन्होंने स्थानीय शो और संगीत कार्यक्रमों में गाना शुरू कर दिया था।
किशोर कुमार ने चार बार शादी की। उनकी पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता थीं, जो एक बंगाली अभिनेत्री और गायिका थीं। उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री मधुबाला थीं। उसके बाद उन्होंने एक अन्य अभिनेत्री योगिता बाली से विवाह किया और अंत में उनकी चौथी पत्नी पूर्व अभिनेत्री लीना चंदावरकर थीं।
पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता से किशोर कुमार के दो बेटे, अमित कुमार और सुमित कुमार थे। अमित कुमार भारतीय फिल्म उद्योग में एक सफल पार्श्व गायक भी बने।
किशोर कुमार की पारिवारिक पृष्ठभूमि कला में डूबी हुई थी, और उनके भाई-बहनों और बच्चों ने भी मनोरंजन उद्योग में सफल करियर बनाया।
किशोर कुमार की गायन यात्रा :
किशोर कुमार की गायन यात्रा तब शुरू हुई जब वह एक बच्चे थे, और वे अपने गृहनगर खंडवा में स्थानीय समारोहों और कार्यक्रमों में गाते थे। वह अपने परिवार के साथ मुंबई चले गए जब वह अभी भी छोटे थे, और उन्होंने संगीत और गायन में अपनी रुचि जारी रखी।
प्रारंभ में, किशोर कुमार ने पार्श्व गायक के रूप में भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने एक कोरस गायक के रूप में शुरुआत की और फिर 1948 में फिल्म "जिद्दी" में एकल गायक के रूप में अपना पहला ब्रेक मिला। हालांकि, यह गाना हिट नहीं हुआ और किशोर कुमार कई वर्षों तक संघर्ष करते रहे।
संगीतकार एसडी बर्मन के साथ उनके सहयोग के बाद ही किशोर कुमार को एक गायक के रूप में पहचान और सफलता मिली। एसडी बर्मन ने किशोर कुमार की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी अनूठी शैली विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। किशोर कुमार की गायन शैली उस युग की पारंपरिक बॉलीवुड पार्श्व गायन शैली से अलग थी, और उन्होंने अपने गीतों को अपने व्यक्तित्व और भावनाओं से प्रभावित किया।
किशोर कुमार की सफलता 1969 में फिल्म "आराधना" के गीत "मेरे सपनों की रानी" के साथ आई। यह गीत तुरंत हिट हो गया, और एक पार्श्व गायक के रूप में किशोर कुमार के करियर ने उड़ान भरी। उन्होंने हिंदी, बंगाली, मराठी और गुजराती सहित विभिन्न भाषाओं में 5,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए।
किशोर कुमार की गायन शैली अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जानी जाती थी, और वे रोमांटिक गाथागीतों से लेकर पेप्पी नंबरों तक समान आसानी से गाने गा सकते थे। उन्हें अपने गीतों में हास्य और विचित्रता का संचार करने की क्षमता के लिए भी जाना जाता था, जिससे वे उस युग के अन्य गीतों से अलग हो जाते थे।
किशोर कुमार की गायन यात्रा उनके समर्पण, जुनून और प्रतिभा से पहचानी जाती थी। आज भी, उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध गायकों में से एक माना जाता है।